Rumored Buzz on Shodashi

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श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥१॥

The Mahavidya Shodashi Mantra supports psychological steadiness, advertising healing from previous traumas and inner peace. By chanting this mantra, devotees discover launch from damaging emotions, developing a well balanced and resilient mentality that assists them facial area life’s difficulties gracefully.

सच्चिद्ब्रह्मस्वरूपां सकलगुणयुतां निर्गुणां निर्विकारां

कन्दर्पे शान्तदर्पे त्रिनयननयनज्योतिषा देववृन्दैः

साशङ्कं साश्रुपातं सविनयकरुणं याचिता कामपत्न्या ।

ऐसा अधिकतर पाया गया है, ज्ञान और लक्ष्मी का मेल नहीं होता है। व्यक्ति ज्ञान प्राप्त कर लेता है, तो वह लक्ष्मी की पूर्ण कृपा प्राप्त नहीं कर सकता है और जहां लक्ष्मी का विशेष आवागमन रहता है, वहां व्यक्ति पूर्ण ज्ञान से वंचित रहता है। लेकिन त्रिपुर सुन्दरी की साधना जोकि श्री विद्या की भी साधना कही जाती है, इसके बारे में लिखा गया है कि जो व्यक्ति पूर्ण एकाग्रचित्त होकर यह साधना सम्पन्न कर लेता है उसे शारीरिक रोग, मानसिक रोग और कहीं पर भी भय नहीं प्राप्त होता है। वह दरिद्रता के अथवा मृत्यु के वश में नहीं जाता है। वह व्यक्ति जीवन में पूर्ण रूप से धन, यश, आयु, भोग और मोक्ष को प्राप्त करता है।

As one progresses, the second period requires stabilizing this newfound consciousness through disciplined practices that harness the intellect and senses, emphasizing the critical purpose of energy (Shakti) On this transformative system.

Worshipping Goddess Shodashi is not simply about seeking product Added benefits and also about the internal transformation and realization with the self.

ॐ ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नमः॥

हन्तुं दानव-सङ्घमाहव भुवि स्वेच्छा समाकल्पितैः

लक्ष्या या पुण्यजालैर्गुरुवरचरणाम्भोजसेवाविशेषाद्-

कालहृल्लोहलोल्लोहकलानाशनकारिणीम् ॥२॥

यहां पढ़ें त्रिपुरसुन्दरी हृदय स्तोत्र संस्कृत में

बिभ्राणा वृन्दमम्बा Shodashi विशदयतु मतिं मामकीनां महेशी ॥१२॥

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